आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025: तांत्रिक साधना और आत्मिक जागरण का शुभ अवसर
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भूमिका:
भारतीय सनातन धर्म में नवरात्रि केवल व्रत और उपासना का ही पर्व नहीं है, बल्कि आत्मिक जागरण और शक्ति-साधना का भी विशिष्ट काल होता है। वर्ष में दो बार मनाई जाने वाली मुख्य नवरात्रियों के अतिरिक्त दो गुप्त नवरात्रियाँ होती हैं—एक आषाढ़ मास में और दूसरी माघ मास में। ये "गुप्त नवरात्रि" विशेष रूप से तांत्रिक साधकों, शाक्त उपासकों और आध्यात्मिक रूपांतरण के इच्छुक साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
गुप्त नवरात्रि क्या है?
"गुप्त" का अर्थ है 'गोपनीय'। गुप्त नवरात्रि की साधनाएँ अत्यंत गोपनीय, व्यक्तिगत और प्रायः निष्कलंक आचरण के साथ संपन्न की जाती हैं। यह कोई जनसामान्य का उत्सव नहीं, बल्कि एक साधक की अंतर्यात्रा है जिसमें वह दैवीय ऊर्जा से साक्षात्कार हेतु आत्मा और चित्त को तैयार करता है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 की तिथियाँ:
🗓 तिथि आरंभ: 26 जून 2025, गुरुवार
🗓 तिथि समाप्ति: 4 जुलाई 2025, शुक्रवार
👉 यह काल शक्ति साधना, तांत्रिक अनुष्ठान, काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, आदि दस महाविद्याओं की उपासना के लिए आदर्श माना जाता है।
गुप्त नवरात्रि का महत्व:
१. महाविद्या साधना का अवसर:
गुप्त नवरात्रियों में दश महाविद्याओं की साधना की जाती है। इन दस देवियों में काली, तारा, छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी, भुवनेश्वरी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला आदि आती हैं। हर देवी विशिष्ट तांत्रिक सिद्धि और रक्षा प्रदान करती हैं।
२. तांत्रिक अनुष्ठानों का विशेष काल:
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि तांत्रिकों द्वारा विशेष पूजा जैसे –
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शाबर मंत्र सिद्धि
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यंत्र स्थापना
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भैरव-भूत-प्रेत बाधा निवारण
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तांत्रिक रक्षाकवच निर्माण
जैसी प्रक्रियाओं के लिए चुनी जाती है।
३. ग्रह दोषों का निवारण:
शनि, राहु, केतु, मंगल आदि ग्रहों के पीड़ा देने पर इन 9 दिनों में विशेष रूप से देवी काली या बगलामुखी की पूजा कर ग्रह दोषों से मुक्ति पाई जाती है।
गुप्त नवरात्रि में करने योग्य विशेष साधनाएँ:
1. कालिका साधना:
रात्रिकालीन पूजा, नीले या काले वस्त्र, काले तिल से हवन आदि के माध्यम से काली मां की आराधना।
2. तारा साधना:
मौन व्रत धारण करके दीपक, कपूर और चंदन से पूजन कर विशुद्ध वाणी और विद्या की प्राप्ति के लिए।
3. बगलामुखी अनुष्ठान:
वाणी-विरोध, कोर्ट-कचहरी, शत्रु नाश और वाद-विवाद में विजय हेतु पीले वस्त्र, हल्दी और पीली सामग्री से मां बगलामुखी की आराधना।
4. कवच एवं यंत्र सिद्धि:
इस काल में रुद्राक्ष, यंत्र या तांत्रिक रक्षाकवचों को सिद्ध कर धारण किया जाता है जिससे जीवन में सुरक्षा और स्थिरता आती है।
क्या करें और क्या न करें:
करें | न करें |
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ब्रह्मचर्य का पालन करें | निंदा, अपशब्द, असत्य न बोलें |
रात्रिकालीन जाप करें | भोजन में मांस-मदिरा त्यागें |
एकाग्रचित्त साधना करें | मोबाइल, सोशल मीडिया से दूरी बनाएं |
दान-पुण्य करें | रजस्वला स्त्रियाँ साधना न करें |
वास्तु और गुप्त नवरात्रि:
गुप्त नवरात्रि में घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में पूजा का विशेष महत्व है।
🔸 इस कोने को शुद्ध कर दीपक, हवन एवं मंत्र जप से ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित किया जा सकता है।
🔸 घर के वास्तु दोष जैसे दरिद्रता, क्लेश, अस्थिरता आदि को मिटाने हेतु विशेष वास्तु पूजन भी किया जाता है।
सामान्य जन के लिए भी यह शुभ काल:
यद्यपि यह साधकों का पर्व है, फिर भी सामान्य भक्त निम्न उपाय करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं:
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प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ
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हर रात दीपक जलाकर "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" मंत्र का 108 बार जप
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दिन में एक समय फलाहार या उपवास
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श्री यंत्र या काली यंत्र का पूजन
शास्त्रीय प्रमाण:
🔹 देवी भागवत पुराण, मार्कण्डेय पुराण, तंत्रसार, रुद्रयामल तंत्र, योगिनी तंत्र, काली तंत्र आदि में गुप्त नवरात्रि और महाविद्याओं की साधना का विस्तार से उल्लेख मिलता है।
🔹 आचार्य अभिनवगुप्त, कालिदास तथा अन्य तांत्रिक आचार्यों ने भी इसकी महिमा वर्णित की है।
संपूर्ण साधना के लिए व्यक्तिगत मार्गदर्शन आवश्यक है:
गुप्त नवरात्रि की साधना अत्यंत सूक्ष्म और ऊर्जावान होती है। यदि आप भी अपने जीवन में आत्मिक उत्थान, शक्तिसाधना या ग्रह-शत्रु बाधा से मुक्ति चाहते हैं तो व्यक्तिगत परामर्श अवश्य लें।
हमारी विशेष सेवाएँ इस गुप्त नवरात्रि पर:
✅ व्यक्तिगत वैदिक पूजा
✅ घर/ऑफिस के लिए यंत्र सिद्धि
✅ रक्षाकवच निर्माण
✅ गोपनीय शक्तिपीठ अनुष्ठान
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निष्कर्ष:
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि एक ऐसा पर्व है जहाँ बाह्य आडंबर नहीं, अपितु आंतरिक साधना प्रमुख होती है। यह आत्मशुद्धि, भय से मुक्ति और परम शक्ति से जुड़ने का काल है। इसे केवल देवी की आराधना के रूप में न देखें, बल्कि इसे स्वयं की शक्ति को पहचानने के लिए एक सशक्त माध्यम बनाएं।
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