परिवार में व्रत-भेद: क्या करें, जब सबकी परम्परा अलग-अलग हो

यह अत्यंत विचारणीय, प्रायोगिक और समसामयिक शंका है, विशेषतः वर्तमान काल में जब विभिन्न सम्प्रदायों का पारिवारिक समागम सामान्य बात हो चली है। अतः इसका समाधान केवल संकीर्ण सम्प्रदायगत दृष्टिकोण से नहीं, अपितु समन्वित शास्त्रीय विवेक और पारिवारिक सौहार्द के आलोक में किया जाना चाहिए। आइये, इस जिज्ञासा का समाधान धर्मशास्त्र, स्मृतिग्रंथ, वैष्णव सम्प्रदायों की परम्परा और आधुनिक सामाजिक यथार्थ के सम्यक् विचार से प्रस्तुत करें।


🔷 प्रश्न का सार:

एक ही परिवार में विभिन्न वैष्णव परम्पराओं की दीक्षा प्राप्त सदस्य हैं:

  • पति: शाङ्कर संप्रदाय/शांकर परम्परा (संभवतया स्मार्त)

  • धर्मपत्नी: रामानुजी वैष्णव (श्रीवैष्णव)

  • पुत्र: निम्बार्क संप्रदाय के दीक्षित

इन परम्पराओं में पर्वों की तिथि निर्धारण (विशेषतः एकादशी, जन्माष्टमी आदि) की प्रणाली भिन्न होती है:

  • कोई सूर्योदयवेध मानता है

  • कोई निशाव्यापिनी तिथि

  • कोई कपालवेध या सायंकालिक दर्शन

इससे एक ही पर्व के भिन्न तिथियों पर पालन का विधान हो जाता है। यथा – एकादशी कभी एक दिन पहले, तो कभी एक दिन बाद, और जन्माष्टमी में भी पूर्णिमा/अष्टमी के संदर्भ भेद।


🔷 धर्मशास्त्रीय पृष्ठभूमि:

1. सिद्धान्त: “यथा संप्रदायं तथा धर्माचारः”

धर्मशास्त्रों में यह मान्य है कि व्यक्ति को अपनी दीक्षा, परम्परा और गुरु के निर्देशानुसार धर्माचरण करना चाहिए।

मनुस्मृति (2.6)
"श्रुतिस्मृत्योदितं धर्ममनुतिष्ठन् हि मानवः।
इहामुत्र फलभोगे समृद्धिं प्राप्नुवन्मनः॥"

2. वैष्णव सम्प्रदायों में तिथि निर्णय भेद

  • स्मार्त / शाङ्कर परम्परा – सामान्यतः सूर्योदय वेध या पूर्वाह्ण वेध मानती है।

  • श्रीवैष्णव / रामानुजी संप्रदायनिशाव्यापिनी (रात्रि की अष्टमी या एकादशी तिथि जो निशा में व्याप्त हो) मानते हैं।

  • निम्बार्क / बल्लभी संप्रदायसायंवेध / कपालवेध को प्रमुखता देते हैं।

इससे “एकादशी”, “महाशिवरात्रि”, “श्रीकृष्ण जन्माष्टमी” आदि पर्वों में भेद होता है।


🔷 समस्या की प्रकृति:

अब प्रश्न यह नहीं है कि कौन सी तिथि शुद्ध है, अपितु यह है कि परिवार में विभिन्न तिथियों पर कैसे धर्मपालन हो। यदि पति-पत्नी-बेटे सभी अपनी-अपनी तिथि पर पर्व करें, तो –

  • क्या एक ही घर में 2-3 एकादशी/जन्माष्टमी मान्य होंगी?

  • क्या इससे वैदिक या वैष्णव आचार में दोष होगा?

  • क्या यह अनाचार है, या परंपरा-सम्मत सहिष्णुता?


🔷 समाधान: विवेक और शास्त्र का समन्वय

✅ 1. “स्वसम्प्रदाय धर्मः सर्वप्रथम”

प्रत्येक व्यक्ति को अपने गुरु और सम्प्रदाय की परंपरा के अनुसार ही पर्वों का पालन करना चाहिए। यह उसका श्रद्धा और आचार का धर्म है। अतः यदि पति स्मार्त हैं, पत्नी रामानुजी और पुत्र निम्बार्की, तो तीनों अपनी तिथि मान सकते हैं।

✅ 2. “गृहस्थाश्रम में परस्पर-गौरव और समन्वय अपेक्षित”

यदि प्रत्येक सदस्य अपने धर्म में स्थिर है, तो दूसरों की आस्था का सम्मान करते हुए उनके पर्व पालन में सहभागी होना सात्त्विक सहिष्णुता है।

🌿 “संवादेन सह धर्माचरणं, कलियुगे श्रेष्ठम्।”
यह भावना विशेषतः गृहस्थ जीवन में आवश्यक है।

✅ 3. "कर्मसंन्यास नहीं, संकल्प-संयम धर्म है"

एक ही घर में 2-3 तिथियों पर उपवास या पूजन करने में कोई दोष नहीं है, यदि –

  • प्रत्येक दिन को उसी सम्प्रदाय की भावना से पूर्ण किया जाये

  • केवल दिखावे के लिये न हो, न ही उपहास या विरोध हो

✅ 4. शास्त्रीय उदाहरण: व्रत-भेद की मान्यता

🌿 निरण्यसिन्धु, धर्मसिन्धु, वैष्णवमातृका, और हरिभक्तिविलास जैसे ग्रंथों में विभिन्न तिथियों को लेकर विस्तार से चर्चा है।
इनमें कहा गया है कि –
“श्रद्धया तु यत् क्रियते तद् एव श्रेष्ठं भवति”


🔷 व्यावहारिक संकल्प:

  1. घर के प्रत्येक सदस्य को अपनी परम्परा अनुसार पर्व पालन करने की स्वतंत्रता दें।

  2. अन्य सदस्य उस दिन केवल सहयोगी भाव रखें, यदि सम्भव हो तो उपवास या आंशिक सहभागिता करें।

  3. पूजा स्थल पर किसी भी सम्प्रदाय का उपहास या विरोध वर्जित करें।

  4. गृहव्रत का निर्णय सर्वसम्मति से लें — उदाहरणतः यदि सभी मान लें कि जन्माष्टमी श्रीवैष्णव तिथि पर मनायेंगे, तो वह भी मान्य है।


🔷 निष्कर्ष:

👉🏻 एक ही घर में विभिन्न एकादशी/जन्माष्टमी आदि मनाना धर्मशास्त्रविरोधी नहीं है, यदि वह:

  • अपने-अपने गुरु परम्परा के अनुसार हो

  • आस्था और श्रद्धा से किया गया हो

  • आपसी सौहार्द और सहिष्णुता से सम्पन्न हो

“विवेकयुक्त आचरण ही कलियुग में धर्म का श्रेष्ठ स्वरूप है” – यह सूत्र गृहस्थ के लिये शिरोधार्य होना चाहिए।


🔹 अनुशंसा (यदि शंका बनी रहे):

प्रश्नकर्ता विद्वान यदि चाहें तो काण्व शाखा, संप्रदायों के व्रत-निर्णय ग्रंथ (जैसे धर्मसिन्धु, निर्णयसिन्धु, वैष्णवमातृका आदि) का परामर्श भी लें, अथवा जिस गुरु से वे दीक्षित हैं, उनके मार्गदर्शनानुसार चलें।

Related Products

₹6,000
₹5,100
Silver Consultation
₹11,400
₹9,600
Gold Consultation
₹15,000
₹13,200
Platinum Consultation

6 comments

यह लेख न केवल शास्त्रीय आधार पर जटिल विषयों का संतुलित विवेचन करता है, बल्कि विभिन्न परम्पराओं के बीच समन्वय का मार्ग भी दिखाता है। विभिन्न मतों को सम्मान देते हुए यह लेख श्रद्धा, विवेक और सौहार्द का संतुलन सिखाता है। वर्षों पुरानी दुविधाओं को शांत कर, यह लेख घर-घर की बात को सुलझाने वाला प्रतीत होता है।

Abhijeet

बहुत सुन्दर विवेचन।यह लेख हमारे मन के उलझन को दूर कर सोच को विस्तारित करता है।

Nikhil

“विभिन्न सम्प्रदायों के व्रत-विचारों का ऐसा स्पष्ट तुलनात्मक विवेचन मैंने पहले नहीं पढ़ा। न केवल समस्या को पहचाना गया है, बल्कि समाधान भी व्यवहारिक और धर्मसम्मत है।”

हेमंत त्रिपाठी, बनारस

“लेख पढ़कर लगा कि यह हमारे ही घर की बात है। शास्त्रीय प्रमाणों के साथ समाधान प्रस्तुत करना इस लेख की विशेषता है। लेखक का दृष्टिकोण विवेकपूर्ण और समन्वयी है।”

डॉ. अर्चना वैष्णव, जयपुर

“बहुत संतुलित लेख। आज तक हमने दूसरों की तिथि को ग़लत मानकर विवाद किया, पर यह लेख समझाता है कि सभी की श्रद्धा योग्य है, यदि वह अपनी परम्परा के अनुरूप हो।”

सौम्या श्रीवास्तव, बेंगलुरु

“इस लेख ने मेरी वर्षों पुरानी दुविधा का समाधान कर दिया। हमारे घर में भी तीन अलग-अलग परम्पराएँ हैं। अब समझ आया कि श्रद्धा, संप्रदाय और सौहार्द – तीनों का सामंजस्य ही धर्म है।”

विजय शर्मा, प्रयागराज

Leave a comment

Please note, comments need to be approved before they are published.

More Articles

October 28, 2025
in Transits
  Venus Transit in Libra (1 November – 25 November 2025): Balance, Beauty, and Diplomacy Restored   Introduction: Venus Returns Home On 1 November 2025, Venus — the planet of beauty, love, and harm...
October 28, 2025
in Transits
The astrological event of Venus transiting, or conjunction, the fixed star Spica is a highly auspicious and significant moment. This transit blends the influence of the planet of love, beauty, weal...
October 26, 2025
in Transits
Mars' transit in Scorpio with Mercury enhances analytical ability coupled with deep emotional thought. Being aspected by exalted Jupiter from Cancer further enhances the positive energy of Mars in ...
October 15, 2025
in Vedic Spiritual Insights
  The Five Sacred Days of Diwali: A Journey from Wealth to Wisdom Introduction Across India and beyond, the festival of Diwali (Deepavali) glows as the brightest celebration of light conquering dar...